अदन में तू ने खुदावंद

अदन में तू ने खुदावंद 
पाक ब्याह का इंतजाम 
रहमत से मुकर्रर किया ,
ताकि इन्सान को हो आराम 
जैसी तू ने बरकत बख्शी ,
पहले मर्द और औरत पर
वैसा तू इन दोनों पर भी ,
अपनी बरकत नाज़िल कर


काना में तू ने दिखाई  ,
अपनी कुदरत ओ जलाल  
अब हाजिर  हो , 
और इनको फज़ल से 
कर मालामाल 
उन्हें तू पाकीजा करके ,
एक को दूसरे से मिला
अपनी रहमत से तू इन पर ,
दौलत फज़ल की बरसा 

उमर भर तू इनके साथ हो ,

इनकी नित हिदायत कर 
साथों साथ ये दुःख ओ सुख में 
चलें तेरी राहों पर 
इनकी सफर जब तमाम हो 
इन्हें बख्श अबदी मीरास 

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