एक रात चरवाहे भेड़ो की

एक रात चरवाहे भेड़ो की ,
रखवाली करते थे ,
कि एक फरिश्ता आ उतरा ,
साथ नूर आसमानी के 


"तुम मत डरो," उसने कहा ,
घबरा वह गए जब ,बशारत , देखो ,
भेजता है , सब आदमियों को रब्ब 

आज ही दाऊद के शहर में ,
एक मुंजी दुनिया का ,
है पैदा हुआ तुम सुनो ,
है उसका यह पता 

एक बच्चे को तुम पाओगे ,
दाऊद की बस्ती में ,
कपड़ों में लिपटा हुआ है ,
और पड़ा चरनी में 

जब कह चुका तो उसके साथ ,
बहुत फ़रिश्तगान ,
आसमान से नाज़िल हुए तब ,
गाते हुए उस आन  

आसमान पर रब्ब की हो तमजीद ,
सुलह ज़मीन पर भी ,
खुदा और आदमियों के बीच ,
अब मेल हो अबदी

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