इम्मानुएल के लोहू से

इम्मानुएल के लोहू से ,एक सोता भरा है ,जो पापी उसमें लेवे स्नान ,रंग पाप का छूटता है 


वह डाकू उसे क्रूस पर देख ,
आनन्दित हुआ तब ,
हम वैसे पापी उसी में ,
पाप अपना धोवें सब 

विश्वास से जब मैं देखता हूँ ,
उस दोष हीन रुधिर को ,
मैं तेरी दया का बखान 
नित करूँ मरने लों

हे मेम्ने तेरे रक्त का गुण
कभी न मिटेगा ,
और तेरी मण्डली का बखान ,
सदा लों रहेगा 

और जब ये बडबडाती जीभ ,
कब्र में चुप रहे ,
तब तेरी स्तुति करूँगा ,
और मीठे नामों से 

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