आशीष तुम से चाहते हैं हे स्वर्गीय पिता हम आते हैं
न कोई खूबी है न लियाकत
बख्शों हमको अपनी ताकत (2)
खाली दिलों को लाते हैं (2)
हमने बहुत खतायें की हैं
रहे निकम्मे जफ़ाये की हैं (2)
शर्म से सिर झुक जाते हैं (2)
तुम हो शक्तिमान प्रभु जी
दया भी है अपार प्रभु जी (2)
स्तुति हम सब गाते हैं (2)
बंदों को तू कभी न भूले
दुःख सहे दुनियाँ में तूने (2)
उस ही प्रेम को चाहते है (2)
0 टिप्पणियाँ