आता हूँ सलीब के पास

आता हूँ सलीब के पास ,
मैं हूँ अँधा और लाचार ,
मेरी आँख है क्रूस पर ख़ास ,
हूँ नजात का तलबगार 

क्रूस ही मेरी है पनाह ,
सिर्फ क्रूस पर है निगाह ,
बोलता हूँ मैं क्रूस की जय ,
यीशु अब बचाता है 

मैं आवारा बे तस्कीन ,
कामिल राहत पाता हूँ ,
सुनता अब यह कौल शीरीन ,
"तुझको मैं बचाता हूँ"

तुझे सब कुछ देता हूँ ,
तुझे अपना कहूँगा ,
तेरी बक्शीश लेता हूँ ,
तेरी ही मैं रहूँगा

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