इब्तिदा में कमाल था 
और वो खुदा के साथ था
वो कलाम खुद खुदा ही था
पहले से उसके साथ था
उसमें ही सब कुछ पैदा हुआ
उसके बिना तो कुछ भी न था
इब्तिदा में ...
थी उस कलाम से ही जिन्दगी
थी वो ही इंसान की रोशनी
इब्तिदा में ...
वो नूर चमका अन्धेरों में
अन्धेरा उसको समझा न था
इब्तिदा में ...
और वो खुदा के साथ था
वो कलाम खुद खुदा ही था
पहले से उसके साथ था
उसमें ही सब कुछ पैदा हुआ
उसके बिना तो कुछ भी न था
इब्तिदा में ...
थी उस कलाम से ही जिन्दगी
थी वो ही इंसान की रोशनी
इब्तिदा में ...
वो नूर चमका अन्धेरों में
अन्धेरा उसको समझा न था
इब्तिदा में ...
 
 
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